श्री शनि चालीसा / Shree Shani Chalisa आओ हम शनि की कृपा प्राप्ति के लिए शनि का ध्यान करें पूजा करें भजन और मनन करें

 

श्री शनि  चालीसा  /  Shree Shani Chalisa

शनि मंत्र  की  ध्वनि कान में पड़ते अज्ञानी मनुष्य भय  से कांप जाता है , उसे उसकी  19 वर्ष महादशा साढ़ेसाती ढैय्या है स्मरण हो आता है जिसके कारण उसका भय निरंतर बढ़ता ही जाता है , किंतु जो शनि देव  की आराधना पूजा अर्चना तथा भजन में अनुरक्त व्यक्ति हैं उन पर शनि देव  की अधिक  कृपा होती रहती है वेह सभी सुख समृद्धि से आनंदित होते हुए शिव धाम को प्राप्त करते हैं  .  कहते हैं स्थान वृद्धि करो शनि , शनि  जब अपने 10 में 11वें स्थान पर होता है तो व्यक्ति की उन्नति होती है किंतु अन्य स्थानों  से शनि की तीसरी , सातवीं और दसवीं दृष्टि घातक होती है , अतः शनि सदैव पूजा के योग्य है आओ हम शनि की कृपा प्राप्ति के लिए शनि का ध्यान करें पूजा करें भजन और मनन करें ओम सम शनिश्चराय नमः

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
 (  Jay Ganesh Girija Suvan, Mangal Karan Krpaal ) I
दीनन के दु:ख दूर करि , कीजै नाथ निहाल॥  
( Deenan Ke Dukh Door Kari, Keejai Naath Nihaal ) II
जय जय श्री शनिदेव प्रभु , सुनहु विनय महाराज।
( Jay Jay Shree Shanidev Prabhu, Sunahu Vinay Mahaaraaj )
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥
 ( Karahu Krpa He Ravi Tanay, Raakhahu Jan Kee Laaj ) II

जयति जयति शनिदेव दयाला। ( Jayati Jayati Shanidev Dayaala ) I

करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥ ( Karat Sada Bhaktan Pratipaala ) II

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।  ( Chaari Bhuja, Tanu Shyaam Viraajai ) I

माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥ ( Maathe Ratan Mukut Chhabi Chhaajai ) II

परम विशाल मनोहर भाला।  ( Param Vishaal Manohar Bhaala ) I

 टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥ (  Tedhee Drshti Bhrkuti Vikaraala ) II

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। ( Kundal Shravan Chamaacham Chamake ) I

 हिय माल मुक्तन मणि दमके॥ (  Hiy Maal Muktan Mani Damake ) II

कर में गदा त्रिशूल कुठारा।  ( Kar Mein Gada Trishool Kuthaara ) I

 पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥ ( Pal Bich Karain Arihin Sanhaara ) II

पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन। (  Pingal, Krshno, Chhaaya Nandan ) I

यम कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥ (  Yam, Konasth, Raudr, Dukhabhanjan ) II

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।  (  Sauree, Mand, Shanee, Dash Naama ) I

भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥ ( Bhaanu Putr Poojahin Sab Kaama ) II

जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं। (  Ja Par Prabhu Prasann Hvain Jaaheen ) I

रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥ ( Rankahun Raav Karain Kshan Maaheen ) II

पर्वतहू तृण होई निहारत। ( Parvatahoo Trn Hoee Nihaarat ) I

 तृणहू को पर्वत करि डारत॥   ( Trnahoo Ko Parvat Kari Daarat ) II

राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो। (Raaj Milat Ban Raamahin Deenhayo ) I

कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥ ( Kaikeihun Kee Mati Hari Leenhayo ) II

बनहूँ में मृग कपट दिखाई। (  Banahoon Mein Mrg Kapat Dikhaee ) I 

 मातु जानकी गई चुराई॥ ( . Maatu Jaanakee Gaee Churaee ) II

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा। ( Lakhanahin Shakti Vikal Karidaara ) I

 मचिगा दल में हाहाकारा॥ ( . Machiga Dal Mein Haahaakaara ) II

रावण की गति-मति बौराई। ( Raavan Kee Gati-mati Bauraee ) I

 रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥ ( Raamachandr Son Bair Badhaee ) II

दियो कीट करि कंचन लंका।  ( Diyo Keet Kari Kanchan Lanka ) I

बजि बजरंग बीर की डंका॥ ( Baji Bajarang Beer Kee Danka ) II

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा। ( Nrp Vikram Par Tuhi Pagu Dhaara ) I

 चित्र मयूर निगलि गै हारा॥ ( Chitr Mayoor Nigali Gai Haara ) II

हार नौलखा लाग्यो चोरी।  ( Haar Naulakha Laagyo Choree ) I

हाथ पैर डरवायो तोरी॥ ( . Haath Pair Daravaayo Toree ) II

भारी दशा निकृष्ट दिखायो। ( Bhaaree Dasha Nikrsht Dikhaayo ) I

 तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥ ( Telihin Ghar Kolhoo Chalavaayo ) II

विनय राग दीपक महं कीन्हयों।  (  Vinay Raag Deepak Mahan Keenhayon ) I

तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥ ( Tab Prasann Prabhu Hvai Sukh Deenhayon ) II

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।  ( Harishchandr Nrp Naari Bikaanee ) I

आपहुं भरे डोम घर पानी॥ ( Aapahun Bhare Dom Ghar Paanee ) II

तैसे नल पर दशा सिरानी। ( Taise Nal Par Dasha Siraanee ) I

भूंजी-मीन कूद गई पानी॥  ( Bhoonjee-meen Kood Gaee Paanee ) II

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई। ( Shree Shankarahin Gahyo Jab Jaee ) I

 पारवती को सती कराई॥  (  Paaravatee Ko Satee Karaee ) II

तनिक विलोकत ही करि रीसा।  ( Tanik Vilokat Hee Kari Reesa ) I

नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥ ( Nabh Udi Gayo Gaurisut Seesa ) II

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।  ( Paandav Par Bhai Dasha Tumhaaree ) I

बची द्रौपदी होति उघारी॥  (  Bachee Draupadee Hoti Ughaaree ) II

कौरव के भी गति मति मारयो। ( Kaurav Ke Bhee Gati Mati Maarayo ) I

युद्ध महाभारत करि डारयो॥ (  Yuddh Mahaabhaarat Kari Daarayo ) II

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला। ( Ravi Kahan Mukh Mahan Dhari Tatkaala ) I

 लेकर कूदि परयो पाताला॥ ( Lekar Koodi Parayo Paataala ) II

शेष देव-लखि विनती लाई। ( Shesh Dev-lakhi Vinatee Laee ) I

रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥ (  Ravi Ko Mukh Te Diyo Chhudaee ) II

वाहन प्रभु के सात सुजाना।  ( Vaahan Prabhu Ke Saat Sujaana ) I

जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥ ( Jag Diggaj Gardabh Mrg Svaana ) II

जम्बुक सिंह आदि नख धारी।  ( Jambuk Sinh Aadi Nakh Dhaaree ) I

सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥ (  So Phal Jyotish Kahat Pukaaree ) II

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।  ( Gaj Vaahan Lakshmee Grh Aavain ) I

हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥ ( Hay Te Sukh Sampati Upajaavain ) II

गर्दभ हानि करै बहु काजा। ( Gardabh Haani Karai Bahu Kaaja ) I

 सिंह सिद्धकर राज समाजा॥ ( Sinh Siddhakar Raaj Samaaja  ) II

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।  ( Jambuk Buddhi Nasht Kar Daarai ) I

मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥ ( Mrg De Kasht Praan Sanhaarai ) II

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।  ( Jab Aavahin Prabhu Svaan Savaaree ) I

चोरी आदि होय डर भारी॥ (  Choree Aadi Hoy Dar Bhaaree ) II

तैसहि चारि चरण यह नामा।  ( Taisahi Chaari Charan Yah Naama ) I

स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥ (  Svarn Lauh Chaandee Aru Taama) II 

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।  ( Lauh Charan Par Jab Prabhu Aavain ) I

धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥ ( Dhan Jan Sampatti Nasht Karaavain ) II

समता ताम्र रजत शुभकारी। ( Samata Taamr Rajat Shubhakaaree ) I

 स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥ ( Svarn Sarv Sarv Sukh Mangal Bhaaree ) II

जो यह शनि चरित्र नित गावै। ( Jo Yah Shani Charitr Nit Gaavai )I 

 कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥ ( Kabahun Na Dasha Nikrsht Sataavai ) II

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।  ( Adbhut Naath Dikhaavain Leela ) I

करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥ ( Karain Shatru Ke Nashi Bali Dheela ) II

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।  (  Jo Pandit Suyogy Bulavaee ) I

विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥ ( Vidhivat Shani Grah Shaanti Karaee ) II

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।  ( Peepal Jal Shani Divas Chadhaavat ) I

दीप दान दै बहु सुख पावत॥  ( Deep Daan Dai Bahu Sukh Paavat ) II

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। ( Kahat Raam Sundar Prabhu Daasa ) I

 शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥ ( Shani Sumirat Sukh Hot Prakaasha ) II


दोहा ( Doha )

पाठ शनिश्चर देव को, की हों 'भक्त' तैयार। ( Paath Shanishchar Dev Ko, Kee Hon Bhakt Taiyaar ) I

करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥ ( Karat Paath Chaalees Din, Ho Bhavasaagar Paar ) II

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